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स्वर्गीय साहित्यकार रामदास बसुमतरी

यह मत सोचो कि हमारे पिता और माता एक किसान हैं, और हम भी अपना जीवन ऐसे ही व्यतीत करेंगे। द्वारा – स्वर्गीय साहित्यकार रामदास बसुमतरीTranslator + collector – Nijira Mushahary